NCERT Solution for Class 11 Sociology-2 Chapter 2 Social Change And Social Order In Rural And Urban Society ग्रामीण तथा नगरीय समाज में सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक व्यवस्था
Question 1:
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि तीव्र सामाजिक परिवर्तन मनुष्य के इतिहास में तुलनात्मक रूप से नवीन घटना है? अपने उत्तर के लिए कारण दें।
Answer
(1) यह अनुमान लगाया जाता है कि मानव जाति का पृथ्वी पर अस्तित्व तकरीबन 5,00,000 (पाँच लाख) वर्षों से है, परंतुउनकी सभ्यता का अस्तित्व मात्र 6,000 वर्षों सेही माना जाता रहा है।
(2) इन सभ्य माने जाने वाले वर्षों में, पिछले मात्र 400 वर्षों से ही हमने लगातार एवं तीव्र परिवर्तन देखें हैं।
(3) इन परिवर्तनशील वर्षों में भी, इसके परिवर्तन में तेजी मात्र पिछले 100 वर्षों में आई है। जिस गति से परिवर्तन होता है? वह चूँकि लगातार बहता रहता है, शायद यही सही है कि पिछलेसौ वर्षों में, सबसे अधिक परिवर्तन प्रथम पचास वर्षों की तुलना में अंतिम पचास वर्षों में हुए हैं।
(4) आखिर पचास वर्षों के अंतर्गत, पहले तीस वर्षों की तुलना में विश्व में परिवर्तन अंतिम तीस वर्षों मेंअधिक आया।
Question 2:
सामाजिक परिवर्तन को अन्य परिवर्तनों से किस प्रकार अलग किया जा सकता है?
Answer
(1) सामाजिक परिवर्तन’ एक सामान्य अवधारणा है, जिसका प्रयोग किसी भी परिवर्तन के लिए किया जा सकता है। जो अन्य अवधारणा द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता; जैसे-आर्थिक अथवा राजनैतिक परिवर्तन।
(2) सामाजिक परिवर्तन का सरोकार उन परिवर्तनों से है जो महत्वपूर्ण हैं-अर्थात, परिवर्तन जो किसी वस्तु अथवा परिस्थिति की मूलाधार संरचना को समयावधि मेंबदल दें।
(3) सामाजिक परिवर्तन कुछ अथवा सभी परिवर्तनों को सम्मिलित नहीं करते, मात्र बड़े परिवर्तन जो, वस्तुओं को बुनियादी तौर पर बदल देतेहैं। सामाजिक परिवर्तन एक विस्तृत शब्द है। इसेऔर विशेष बनाने के लिए स्रोतों अथवा कारकों को अधिकतम वर्गीकृत करनेकी कोशिश की जाती है। प्राकृतिक आधार पर अथवा समाज पर इसके प्रभाव अथवा इसकी गति के आधार पर इसका वर्गीकरण किया जाता है।
Question 3:
संरचनात्मक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? पुस्तक से अलग उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
Answer
(1) संरचनात्मक परिवर्तन समाज की संरचना मेंपरिवर्तन को दिखाता है, साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं अथवा नियमों के परिवर्तन को दिखाता है जिन से इन संस्थाओं को चलाया जाता है।
(2) उदाहरण के लिए, कागजी रुपयेका मुद्रा के रूप में प्रादुर्भाव वित्तीय संस्थाओं तथा लेन-देन में बड़ा भारी परिवर्तन लेकर आया। इस परिवर्तन के पहले, मुख्य रूप सेसोने-चाँदी के रूप मेंमूल्यवान धातुओं का प्रयोग मुद्रा के रूप मेंहोता था।
(3) सिक्के की कीमत उसमेंपाए जानेवालेसोनेअथवा चाँदी सेमापी जाती थी।
(4) इसके विपरीत, कागजी नोट की कीमत का उस लागत सेकोई संबंध नहीं होता था, जिस पर वह छापा जाता था और न ही उसकी छपाई से।
(5) कागजी मुद्रा के पीछे यह विचार था कि समान अथवा सुविधाओं के लेने-देन मेंजिस चीज का प्रयोग हो, उसको कीमती होना जरूरी नहीं। जब तक यह मूल्य को ठीक से दिखाता है अर्थात जब तक यह विश्वास को जगाए रखता है-तकरीबन कोई भी चीज़ पैसे के रूप में काम कर सकती है।
(6) मूल्यों तथा मान्यताओं में परिवर्तन भी सामाजिक परिवर्तन ला सकते हैं।
(7) उदाहरण के तौर पर, बच्चों तथा बचपन सेसंबंधित विचारों तथा मान्यताओं मेंपरिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकार के सामाजिक परिवर्तन मेंसहायक सिद्ध हुआ है। एक समय था जब बच्चों को साधारणतः ‘आवश्यक’ समझा जाता था। बचपन सेसंबंधित कोई विशिष्ट संकल्पना नहीं थी, जो इससेजुड़ी हो कि बच्चों के लिए क्या सही था अथवा क्या गलत।
Question 4:
पर्यावरण संबंधित कुछ सामाजिक परिवर्तनों के बारे में बताइए।
Answer
(1) प्रकृति, पारिस्थितिकी तथा भौतिक पर्यावरण को समाज की संरचना तथा स्वरूप पर महत्वपूर्णप्रभाव हमेशा सेरहा है।
(2) विगत समय के संदर्भमेंयह विशेष रूप सेसही है। जब मनुष्य प्रकृति के प्रभावों को सोचनेअथवा झेलने में अक्षम था। उदाहरण के लिए, मरुस्थलीय वातावरण में रहने वाले लोगों के लिए एक स्थान पर रहकर कृषि करना संभव नहीं था, जैसे, मैदानी भागों अथवा नदियों के किनारे इत्यादि। अतः जिस प्रकार का भोजन वे करते थे अथवा कपड़े पहनते थे, जिस प्रकार आजीविका चलाते थे तथा सामाजिक अन्योन्यक्रिया ये सब काफ़ी हद तक उनके पर्यावरण के भौतिक तथा जलवायुकी स्थितियों सेनिर्धारित होता है।
(3) त्वरित तथा विध्वंसकारी घटनाएँ; जैसे-भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़ अथवा ज्वारभाटीय तरंगें (जैसा कि दिसंबर 2004 में सुनामी की तरंगों से इंडोनेशिया, श्रीलंका, अंडमान द्वीप, तमिलनाडु के कुछ भाग इसकी चपेट मेंआए) समाज को पूर्णरूपेण बदलकर रख देतेहैं। येबदलाव अपरिवर्तनीय होते हैं, अर्थात् ये स्थायी होते हैं तथा चीजों को वापस अपनी पूर्व स्थिति में नहीं आने देते।
(4) प्राकृतिक विपदाओं के अनेकानेक उदाहरण इतिहास मेंदेखनेको मिल जाएँगे, जो समाज को पूर्णरूपेण परिवर्तित कर देते हैं अथवा पूर्णतः नष्ट कर देते हैं। परिवर्तन लाभ के लिए पर्यावरणीय या पारिस्थितिकीय कारकों का न केवल विनाशकारी होना अनिवार्य है, अपितु उसे सृजनात्मक भी होना अनिवार्य है।
Question 5:
वे कौन से परिवर्तन हैं, जो तकनीक तथा अर्थव्यवस्था द्वारा लाए गए हैं?
Answer
(1) विशेषकर आधुनिक काल मेंतकनीक तथा आर्थिक परिवर्तन के संयोग सेसमाज मेंतीव्र परिवर्तन आया है।
(2) तकनीक समाज को कई प्रकार सेप्रभावित करती है। यह हमारी मदद, प्रकृति को विभिन्न तरीकों से नियंत्रित उसके अनुरूप ढालने मेंअथवा दोहन करनेमेंकरती है। बाजार जैसी शक्तिशाली संस्था से जुड़कर तकनीकी परिवर्तन अपने सामाजिक प्रभाव की तरह ही प्राकृतिक कारकों;कों जैसे-सुनामी तथा तेल की खोज की तरह प्रभावी हो सकते हैं।
(3) वाष्प शक्ति की खोज में उदीयमान विभिन्न प्रकार के बड़े उद्योगों को शक्ति की उस ताकत को जो न केवल पशुओं तथा मनुष्यों के मुकाबले कई गुणा अधिक थी, बल्कि बिना रुकावट के लगातार चलनेवाली भी थी, से परिचित कराया।
(4) यातायात के साधनों जैसे-वाष्पचलित जहाज तथा रेलगाड़ी नेदुनिया की अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक भूगोल को बदलकर रख दिया।
(5) रेल नेउद्योग तथा व्यापार को अमेरिका महाद्वीप तथा पश्चिमी विस्तार को सक्षम किया। भारत में भी, रेल परिवहन नेअर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेषकर 1853 में भारत में आने से लेकर मुख्यतः प्रथम शताब्दी तक।
Question 6:
सामाजिक व्यवस्था का क्या अर्थ है तथा इसे कैसे बनाए रखा जा सकता है?
Answer
(1) सामाजिक व्यवस्था सुस्थापित समाजिक प्रणालियाँ हैं, जो परिवर्तन को प्रतिरोध तथा उसे विनियमित करती हैं।
(2) सामाजिक व्यवस्था सामाजिक परिवर्तन को रोकती है, हतोत्साहित करती है अथवा कम से कम नियंत्रित करती है। अपनेआपको एक शक्तिशाली तथा प्रासंगिक सामाजिक व्यवस्था के रूप में सुव्यवस्थित करने के लिए प्रत्येक समाज को अपनेआपको समय के साथ पुनरूत्पादित करना तथा उसके स्थायित्व को बनाए रखना पड़ता है। स्थायित्व के लिए आवश्यक हैं कि चीजेंकमोबेश वैसी ही बनी रहें जैसी वे हैं-अर्थात व्यक्ति लगातार समाज के नियमों का पालन करता रहे, सामाजिक क्रियाएँ एक ही प्रकार के परिणाम दें और साधारणत: व्यक्ति तथा संस्थाएँ पूर्वानुमानित रूप में आचरण करें।
(3) समाज के शासक अथवा प्रभावशाली वर्ग अधिकांशतः सामाजिक परिवर्तन का प्रतिरोध करते हैं, जो उनकी स्थिति को बदल सकतेहैं, क्योंकिक्यों स्थायित्व में उनका अपना हित होता है। वहीं दूसरी तरफ अधीनस्थ अथवा शोषित वर्गों का हित परिवर्तन मेंहोता है। सामान्य स्थितियाँअधिकांशतः अमीर तथा शक्तिशाली वर्गों की तरफदारी करती हैं तथा वे परिवर्तन के प्रतिरोध में सफल होते हैं।
(4) सामाजिक व्यवस्था सामाजिक संबंधों की विशिष्ट पद्धति तथा मूल्यों एवंमानदंडों के सक्रिय अनुरक्षण तथा उत्पादन को निर्देशित करती है। विस्तृत रूप में, सामाजिक व्यवस्था इन दो में से किसी एक तरीके से प्राप्त की जा सकती है, जहाँ व्यक्ति नियमों तथा मानदंडों को स्वतः मानते हों अथवा कहाँ मानदंडों को मानने के लिए व्यक्तियों को बाध्य किया जाता हो।
Question 7:
सत्ता क्या है तथा यह प्रभुता तथा कानून से कैसे संबंधित है?
Answer
(1) मैक्स वेबर के अनुसार सत्ता कानूनी शक्ति है। अर्थात शक्ति न्यायसंगत तथा ठीक समझी जाती है। उदाहरण के लिए, एक पुलिस ऑफिसर एक जज अथवा एक स्कूल शिक्षक, सब अपने कार्य में निहित सत्ता का प्रयोग करते हैं।
(2) ये शक्ति उन्हें विशेषकर उनके सरकारी कार्यों की रूपरेखा को देखते हुए प्रदान की गई है-लिखित कागजातों द्वारा सत्ता क्या कर सकती है तथा क्या नहीं, का बोध होता है।
(3) कानून सुस्पष्ट संहिताबद्ध मानदंड अथवा नियम होते हैं। यह ज्यादातर लिखे जाते हैं तथा नियम किस प्रकार बनाए अथवा बदले जाने चाहिए, अथवा कोई उनको तोडता है तो क्या करना चाहिए।
(4) कानून नियमों के औपचारिक ढाँचे का निर्माण करता है जिसके द्वारा समाज शासित होता है। कानून प्रत्येक नागरिक पर लागू होता है। चाहे एक व्यक्ति के रूप में‘मैं’ कानून विशेष सेसहमत हूँ। या नहीं,हीं यह नागरिक के रूप में‘मुझे जोड़ने वाली ताकत है, तथा अन्य सभी नागरिकों को उनकी मान्यताओं से हटकर।
Question 8:
गाँव, कस्बा तथा नगर एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
Answer
(1) गाँव ग्रामीण समुदाय की एक इकाई है, जो ग्रामीण जीवन को कायम रखती है और इसके कार्यों से अलग रहती है।
(2) यह कृषि आधारित सरल समुदाय है।
(3) गाँवों का उद्भव सामाजिक संरचना मेंआए महत्वपूर्ण परिवर्तनों से हुआ जहाँ खानाबदोशी जीवन पद्धति, शिकार, भोजन संकलन तथा अस्थायी कृषि पर आधारित थी, या संक्रमण स्थायी जीवन में हुआ।
(4) सामाजिक परिवर्तन धीमी गति सेअनवरत घटित होता है।
(5) नगरों में उच्च जनसंख्या, अति जनसंख्या घनत्व और विजातीयता पाई जाती है जो मुख्य रूप से गैर-कृषि धंधों सेजुड़े रहतेहैं।
Question 9:
ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक व्यवस्था की कुछ। विशेषताएँ क्या हैं?
Answer
(1) गाँवों का आकार छोटा होता है। अतः ये अधिकांशतः व्यक्तिगत संबंधों का अनुमोदन करते हैं। गाँव के लोगों द्वारा तकरीबन गाँव के ही दूसरे लोगों को देखकर पहचान लेना असामान्य नहीं है।
(2) गाँव की सामाजिक संरचना परंपरागत तरीकों से चालित होती है। इसलिए सामाजिक संस्थाएँ जैसे-जाति, धर्म तथा सांस्कृतिक एवं परंपरागत सामाजिक प्रथाओं के दूसरे स्वरूप यहाँ अधिक प्रभावशाली हैं।
(3) इन कारणों सेजब तक कोई विशिष्ट परिस्थितियाँ न हों, हों गाँवों में परिवर्तन नगरों की अपेक्षा धीमी गति से होता है।
(4) समाज के अधीनस्थ समूहों के पास ग्रामीण इलाके मेंअपने नगरीय भाइयों की तुलना में अभिव्यक्ति के दायरे बहुत कम होते हैं। गाँव में व्यक्ति एक दूसरे से सीधा संबद्ध होता है। इसलिए व्यक्ति विशेष का समुदाय के साथ असहमत होना कठिन होता है और इसका उल्लंघन करने वाले को सबक सिखाया जा सकता है।
(5) प्रभावशाली वर्गों की शक्ति सापेक्षिक रूप से कहीं ज्यादा होती है, क्योंकि वे रोज़गार के साधनों तथा अधिकांशतः अन्य संसाधनों को नियंत्रित करते हैं। अतः गरीबों को प्रभावशाली वर्गों पर निर्भर होना पड़ता है, क्योंकिक्यों उनके पास रोजगार के अन्य साधन अथवा सहारा नहीं होता।
(6) यदि गाँव में पहले से ही मजबूत शक्ति संरचना होती तो उसे उखाड़ फेंकना बहुत कठिन होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शक्ति संरचना के संदर्भ में होने वाला परिवर्तन और भी धीमा होता है, क्योंकि वहाँ की सामाजिक व्यवस्था अधिक मजबूत और स्थिर होती है।
(7) अन्य परिवर्तन आने में भी समय लगता है, क्योंकि गाँव बिखरे होते हैं तथा पूरी दुनिया से एकीकृत नहीं होते जैसे-नगर तथा कस्बे होतेहैं।
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