NCERT Solutions for Class 12 History Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings इतिहास पाठ 4 विचारक, विश्वास और इमारतें
Question 1:
Were the ideas of the Upanishadic thinkers different from those of the fatalists and materialists? Give reasons for your answer.
क्या उपनिषदों के दार्शनिकों के विचार नियतिवादियों और भौतिकवादियों से भिन्न थे? अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए ।
Answer
उपनिषद मृत्यु के बाद जीवन की संभावना और पुनर्जन्म के विचार में विश्वास करते हैं। मुख्य विचार कर्म के सिद्धांत का था। भाग्यवादी वे थे जो मानते थे कि सब कुछ पूर्व निर्धारित है। भौतिकवादियों का मानना था कि मनुष्य चार तत्वों से बना होता है। जब वह मरता है तब मिट्टी वाला अंश पृथ्वी में, जल वाला हिस्सा जल में, गर्मी वाला अंश आग में, साँस का अंश वायु में वापिस मिल जाता है और उसकी इंद्रियाँ अंतरिक्ष का हिस्सा बन जाती हैं मूल रूप से इनमें से सभी लगभग एक ही विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
Question 2:
Summarise the central teachings of Jainism.
जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को संक्षेप में लिखिए।
Answer
जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ हैं:
(1) संपूर्ण विश्व प्राणवान है, पत्थर, चट्टान और जल में भी जीवन होता है।
(2) जीवों के प्रति अहिंसा: खासकर इनसानों, जानवरों, पेड़-पौधों और कीड़े-मकोड़ों को न मारना जैन मान्यता के अनुसार जन्म और पुनर्जन्म का चक्र कर्म के द्वारा निर्धारित होता है।
(3) कर्म के चक्र से मुक्ति के लिए त्याग और तपस्या की जरुरत होती है। यह संसार के त्याग से ही संभव हो पाता है। इसीलिए मुक्ति के लिए विहारों में निवास करना एक अनिवार्य नियम बन गया ।
(4) जैन साधू और साध्वी पाँच व्रत करते थे: हत्या न करना, चोरी नहीं करना, झूठ न बोलना, ब्रह्मचर्य (अमृषा) और धन संग्रह न करना।
Question 3:
Discuss the role of the begums of Bhopal in preserving the stupa at Sanchi.
साँची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों की भूमिका की चर्चा कीजिए ।
Answer
प्राचीन स्थल के संरक्षण में भोपाल की बेग़मो ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भोपाल के शासकों, शाहजहाँ बेगम और उनकी उत्तराधिकारी सुल्तानजहाँ बेगम, ने इस प्राचीन स्थल के रख-रखाव के लिए धन का अनुदान दिया। सुल्तानजहाँ बेगम ने वहाँ पर एक संग्रहालय और अतिथिशाला बनाने के लिए अनुदान दिया। वहाँ रहते हुए ही जॉन मार्शल ने कई पुस्तकें लिखीं। इन पुस्तकों के विभिन्न खंडों के प्रकाशन में भी सुल्तानजहाँ बेगम ने अनुदान दिया। बौद्ध धर्म के इस महत्वपूर्ण केंद्र की खोज से आरंभिक बौद्ध धर्म के बारे में हमारी समझ में महत्वपूर्ण बदलाव आए। आज यह जगह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के सफल मरम्मत और संरक्षण का जीता जागता उदाहरण है।
Question 4:
Read this short inscription and answer: In the year 33 of the maharaja Huvishka (a Kushana ruler), in the first month of the hot season on the eighth day, a Bodhisatta was set up at Madhuvanaka by the bhikkhuni Dhanavati, the sister’s dau ghter of the bhikkhuni Buddhamita, who knows the Tipitaka, the female pupil of the bhikkhu Bala, who knows the Tipitaka, together with her father and mother.
(a) How did Dhanavati date her inscription?
(b) Why do you think she installed an image of the Bodhisatta?
(c) Who were the relatives she mentioned?
(d) What Buddhist text did she know?
(e) From whom did she learn this text?
निम्नलिखित संक्षिप्त अभिलेख को पढ़िए और जवाब दीजिए: महाराजा हुविष्क (एक वुफषाण शासक) के तैंतीसवें साल में गर्म मौसम के पहले महीने के आठवें दिन त्रिपिटक जानने वाले भिक्खु बल की शिष्या, त्रिपिटक जानने वाली बुद्धमिता के बहन की बेटी भिक्खुनी धनवती ने अपने माता- पिता के साथ मधुवनक में बोधिसत्त की मूर्ति स्थापित की।
(क) धनवती ने अपने अभिलेख की तारीख कैसे निश्चित की?
(ख) आपके अनुसार उन्होंने बोधिसत्त की मूर्ति क्यों स्थापित की?
(ग) वे अपने किन रिश्तेदारों का नाम लेती हैं?
(घ) वे कौन-से बौद्ध ग्रंथों को जानती थीं?
(ड़) उन्होंने ये पाठ किससे सीखे थे?
Answer
(क) उसने अपने शिलालेख को गर्म मौसम के पहले महीने के आठवें दिन और महाराजा हुविष्क के राज के 33 वें वर्ष के रूप में दिनांकित किया।
(ख) उन्होंने बोधिसत्त की मूर्ति स्थापित की क्योंकि बोधिसत्वों को कड़े प्रयासों के माध्यम से योग्यता अर्जित करने वाले बहुत दयालु प्राणी के रूप में जाना जाता था जिन्होंने संसार को त्याग दिया था । इस प्रकार बुद्ध और बोधिसत्वों की मूर्तियों की पूजा क महत्वपूर्ण परंपरा बन गई।
(ग) जिन रिश्तेदारों के बारे में बताया गया है, वे उनके माता-पिता हैं, उन्होंने अपनी मां की बहनो के नाम भी भिक्षुणी बुद्धमिता और भीखु बाला बताये है।
(घ) वे त्रिपिटकों को जानती थी।
(ड़) उन्होंने ये पाठ भिक्खुनी बुद्धमिता से सीखे थे ।
Question 5:
Why do you think women and men joined the sangha?
आपके अनुसार स्त्री-पुरुष संघ में क्यों जाते थे?
Answer
संघ ऐसे भिक्षुओं की एक संस्था थी जो धम्म के शिक्षक बन गए। शुरू-शुरू में सिर्फ पुरुष ही संघ में सम्मिलित हो सकते थे। बाद में महिलाओं को भी अनुमति मिल गई । महिलाएं और पुरुष भ सांसारिक संपत्ति और सुखों को त्याग कर संघ में शामिल हो गए। एक बार संघ में आ जाने पर सभी को बराबर माना जाता था क्योंकि भिक्षु और भिक्खुनी बनने पर उन्हें अपनी पुरानी पहचान को त्याग देना पड़ता था। ये श्रमण एक सादा जीवन बिताते थे। उनके पास जीवनयापन के लिए अत्यावश्यक चीजें के अलावा कुछ नहीं होता था।
Question 6:
To what extent does knowledge of Buddhist literature help in understanding the sculpture at Sanchi?
साँची की मूर्ति-कला को समझने में बौद्ध साहित्य के ज्ञान से कहाँ तक सहायता मिलती है?
Answer
साँची की मूर्ति-कला को समझने में बौद्ध साहित्य के ज्ञान से बहुत सहायता मिलती है । समकालीन बौद्ध ग्रंथों में हमें 64 संप्रदायों या चिंतन परंपराओं का उल्लेख मिलता है। शिक्षाओं के प्रसार के लिए शिक्षकों ने एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा की । मूर्तियों में चित्रों के रूप में कहानियाँ होती हैं जिनका इतिहासकारों द्वारा अध्ययन किया जाता है ताकि इसका अर्थ पाठ्य साक्ष्यों के साथ तुलना करके समझा जा सके। इतिहासकारों ने बुद्ध के जीवन के बारे में बुद्ध के चरित लेखन से जानकारी प्राप्त की। आत्मकथाओं के अनुसार, बुद्ध ने एक वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए आत्मज्ञान प्राप्त किया था । कई प्रारंभिक मूर्ति-कारों ने बुद्ध को मानव रूप में नहीं दिखाया बल्की उन्होंने प्रतीकों के माध्यम से बुद्ध की उपस्थिति को दर्शाया है । रिक्त स्थान बुद्ध के ध्यान को इंगित करने के लिए था जबकि स्तूप महापरिनिर्वाण का प्रतिनिधित्व करते है । अक्सर प्रयोग किया जाने वाला एक प्रतीक पहिया था, यह सारनाथ में बुद्ध द्वारा दिए गए प्रथम धर्मोपदेश को दर्शाता है । साँची में उत्कीर्णित बहुत सी अन्य मूर्तियां शायद बौद्ध मत से सीधी जुड़ी नहीं थीं। इनमें कुछ सुंदर स्त्रियाँ भी मूर्तियों में उत्कीर्णित हैं जो तोरणद्वार के किनारे एक पेड़ पकड़ कर झूलती हुई दिखती हैं। जानवरों को अक्सर मानवीय विशेषताओं के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता था, उदाहरण के लिए, हाथियों को शक्ति और ज्ञान को दर्शाने के लिए चित्रित किया गया था। अतः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि साँची की मूर्तिकला को समझने में बौद्ध साहित्य का ज्ञान बहुत प्रकाश डालता है।
Question 7:
चित्र 4.32 और 4.33 में साँची से लिए गए दो परिदृश्य दिए गए हैं। आपको इनमें क्या नज़र आता है? वास्तुकला, पेड़-पौधे और जानवरों को ध्यान से देखकर तथा लोगों के काम-धंधे को पहचान कर यह बताइए कि इनमें से कौन से ग्रामीण और कौन से शहरी परिदृश्य हैं?
Answer
चित्र 4.32 में हम देख सकते हैं कि छत और झोपड़ी हैं, कई जानवर, पेड़ और पौधे हैं। यह शायद एक ग्रामीण दृश्य है। जबकि, चित्र 4.33 एक महल के दृश्य का प्रतिनिधित्व करता है जहां एक व्यक्ति की सेवा में कई दास लगे हैं। यह शायद एक शहरी दृश्य है। यह एक राजा या शाही महल की कहानी का प्रतिनिधित्व करता है।
Question 8:
Discuss the development in sculpture and architecture associated with the rise of Vaishnavism and Shaivism.
वैष्णववाद और शैववाद के उदय से जुड़ी वास्तुकला और मूर्तिकला के विकास की चर्चा कीजिए ।
Answer
वैष्णववाद हिंदू धर्म का एक रूप है जिसके अंतर्गत विष्णु को प्रमुख देवता के रूप में पूजा जाता है और शैव धर्म के भीतर शिव को प्रमुख देवता माना जाता है। वैष्णववाद और शैववाद के उदय के साथ इनसे संबंधित मूर्तिकला और वास्तुकला का भी विकास हुआ। वैष्णववाद में कई अवतारों के इर्द-गिर्द पूजा पद्धितियाँ विकसित हुईं। इस परंपरा के अंदर दस अवतारों की कल्पना है। यह माना जाता था कि पापियों के बढ़ते प्रभाव के चलते जब दुनिया में अव्यवस्था और नाश की स्थिति आ जाती थी तब विश्व की रक्षा के लिए भगवान अलग-अलग रूपों में अवतार लेते थे। संभवतः अलग-अलग अवतार देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में लोकप्रिय थे। कई अवतारों को मूर्तियों के रूप में दिखाया गया है। दूसरे देवताओं की भी मूर्तियां बनीं। शिव को उनके प्रतीक लिंग के रूप में बनाया जाता था। लेकिन उन्हें कई बार मनुष्य के रूप में भी दिखाया गया है। जिस समय साँची जैसी जगहों में स्तूप अपने विकसित रूप में आ गए थे उसी समय देवी- देवताओं की मूर्तियों को रखने के लिए सबसे पहले मंदिर भी बनाए गए। शुरू के मंदिर एक चैकोर कमरे के रूप में थे जिन्हें गर्भ-गृह कहा जाता था। इनमें एक दरवाज़ा होता था जिससे उपासक मूर्ति की पूजा करने के लिए भीतर प्रविष्ट हो सकता था। धीरे- धीरे गर्भ गृह के ऊपर एक ऊँचा ढाँचा बनाया जाने लगा जिसे शिखर कहा जाता था। मंदिर की दीवारों पर अक्सर भित्ति चित्र उत्कीर्ण किए जाते थे। बाद के युगों में मंदिरों के स्थापत्य का काफी विकास हुआ।
Question 9:
Discuss how and why stupas were built.
स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे? चर्चा कीजिए ।
Answer
स्तूप ऐसी जगहें थीं जिन्हें पवित्र माना जाता था। इन जगहों पर बुद्ध से जुड़े कुछ अवशेष जैसे उनकी अस्थियाँ या उनके द्वारा प्रयुक्त सामान गाड़ दिए गए थे। इन टीलों को स्तूप कहते थे। स्तूप बनाने की परंपरा बुद्ध से पहले की रही होगी, लेकिन वह बौद्ध धर्म से जुड़ गई। चूँकि उनमें ऐसे अवशेष रहते थे जिन्हें पवित्र समझा जाता था, इसलिए समूचे स्तूप को ही बुद्ध और बौद्ध धर्म के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठा मिली। अशोकावदान नामक एक बौद्ध ग्रंथ के अनुसार अशोक ने बुद्ध के अवशेषों के हिस्से हर महत्वपूर्ण शहर में बाँट कर उनके ऊपर स्तूप बनाने का आदेश दिया। स्तूपों की वेदिकाओं और स्तंभों पर मिले अभिलेखों से इन्हें बनाने और सजाने के लिए दिए गए दान का पता चलता है। कुछ दान राजाओं के द्वारा दिए गए थे जैसे सातवाहन वंश के राजा तो कुछ दान शिल्पकारों और व्यापारियों की श्रेणियों द्वारा दिए गए। उदाहरण के लिए, साँची के एक तोरणद्वार का हिस्सा हाथी दाँत का काम करने वाले शिल्पकारों के दान से बनाया गया था। सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने दान के अभिलेखों में अपना नाम बताया है। इन इमारतों को बनाने में भिक्खुओं और भिक्खुनियों ने भी दान दिया।
NCERT Solutions for Class 12 History Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings इतिहास पाठ 4 विचारक, विश्वास और इमारतें